शनिवार शाम को भारत के टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट कप्तानी से हटने का फैसला कर लिया विराट कोहली ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि उन्होंने जब भी कप्तानी की टीम के लिए अपना 120% देने की कोशिश की है।
लेकिन जब वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें कप्तानी से हट जाना ही सही फैसला नजर आता है। उन्हें इसका कोई गम नहीं है।
वह अपने सपोर्ट स्टाफ और खासकर महेंद्र सिंह धोनी के आभारी रहेंगे जिन्होंने उन पर कप्तानी के लिए भरोसा दिखाया था।
विराट कोहली ने भारत के लिए टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 40 मैच जीतने का कारनामा किया था। कोहली के नाम 95 वनडे मैचों में 65 जीत का शानदार रिकॉर्ड था, लेकिन उन्हें जबरदस्ती वनडे कप्तानी से भी हटा दिया गया था।
कोहली ने T20 अंतरराष्ट्रीय में 50 मुकाबलों में कप्तानी की है जिसमें से उन्होंने 30 में भारत को जीत दिलाई है।
विराट कोहली के अच्छे रिकॉर्ड के बावजूद टेस्ट कप्तानी से हटने के पीछे का कारण लोग भारतीय टीम की अंदरूनी राजनीति बता रहे हैं।
कई लोग यह भी मानते हैं कि विराट कोहली के ऊपर अनायास ही दबाव बनाया जा रहा था और टीम का दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम से हारना किसी को पच नहीं रहा है।
भारतीय टीम इस दौरे के पहले दिन (272-3) को छोड़ दें तो बल्लेबाजी में जल्दी-जल्दी 5 बार कम स्कोर पर ऑल आउट हुए। पहले टेस्ट की पहली पारी में भी टीम ने आखिरी 7 विकेट सिर्फ 50 रन के अंदर गवा दिए थे।
विराट कोहली की कप्तानी जाना भारतीय टीम की जहरीली अंदरूनी राजनीति का काम है। भारतीय टीम में पिछले डेढ़ महीने से काफी उठापटक चल रही है। कोहली ने बयान दिया था कि उन्हें बताया भी नहीं गया था कि उन्हें वनडे कप्तानी से हटाया जा रहा है।
वही सिलेक्टर्स कह रहे थे कि हमने कोहली से बात की थी और हमें अलग-अलग कप्तान चाहिए थे। खैर जो भी हो अब टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं दिखता जिसने पिछले दो-तीन साल में ठीक-ठाक प्रदर्शन किया हो।
ऐसे में देखना होगा कि कप्तानी का जिम्मा किसे मिलेगा। राहुल ने सिर्फ एक टेस्ट सीरीज पहले टीम में वापसी की है। उनको दक्षिण अफ्रीका में फेल होने पर भी कप्तान बनाना शायद सही न लगे।
वहीं रोहित शर्मा को टेस्ट कप्तान बनाने का मतलब होगा कि बोर्ड खुद के दो गेंदो के दो कप्तान वाले फॉर्मूले के खिलाफ काम करेगा।