क्रिकेट में अक्सर देखा जाता है कि अपने देश के लिए उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को उनकी टीम बहुत ही शानदार विदाई देती है। ज्यादातर मौक़ों पर खिलाड़ी किसी आगामी सीरीज या मैच के बाद अपने संन्यास की घोषणा कर देते थे।
खिलाड़ियों के पूर्व निर्धारित आखिरी मैच को फेयरवेल मैच कहा जाता है। इस मैच के अंत पर इन खिलाड़ियों को गॉर्ड ऑफ हॉनर दिया जाता है और यादगार विदाई दी जाती है।
तमाम बड़े क्रिकेटर जैसे अनिल कुंबले, सचिन, गांगुली, कैलिस और मुरलीधरन को यादगार विदाई मिली थी। कैलिस ने अपने आखिरी मैच में शतक जड़ा था और मुरली ने 9 विकेट लेकर 800 विकेट पूरे किए थे।
हालांकि भारत में अक्सर दिग्गज क्रिकेटर बिना किसी विदाई मैच के टीम से बाहर कर दिये जाते हैं और सालों तक टीम से बाहर रहने के बाद आखिर में वो संन्यास ले लेते हैं।
द्रविड़ हो या ज़हीर, युवराज हो या भज्जी, कई भारतीय क्रिकेटर ऐसे हैं जिन्होंने बिना फेयरवेल मैच खेले ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
तो आज हम आपको उन पांच लोकप्रिय भारतीय क्रिकेटरों के बारे में बताएंगे जिन्होंने बिना फेयरवेल मैच के ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
5. जहीर खान
जहीर खान भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं। इस गेंदबाज ने 92 टेस्ट में 311 विकेट अपने नाम किये है और 2011 वर्ल्ड कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे।
अपने करियर के अंत में फिटनेस के मुद्दों से जूझ रहे जहीर खान ने 2016 में संन्यास की घोषणा की क्योंकि उन्हें लगा कि मोहम्मद शमी और उमेश यादव पूरी तरह से तैयार हैं।
उन्होंने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 2014 में खेला था और संन्यास के दौरान उन्होंने कोई फेयरवेल मैच नहीं खेला था। जहीर के वनडे करियर की बात करें तो उन्होंने 200 मैच खेले है और 4.93 के इकॉनमी रेट से 282 विकेट लिए है।
बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने भारत के लिए 17 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले है और 7.64 के इकॉनमी रेट की मदद से 17 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई है।
4. गौतम गंभीर
गौतम गंभीर एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करके दिखाया है। 2007 के टी 20 वर्ल्ड कप फाइनल में, गंभीर ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाये थे।
2011 वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी के योगदान को सभी याद करते हैं लेकिन गंभीर ने भारत के लिए उतनी ही अच्छी पारी खेली थी। रोहित शर्मा और शिखर धवन के उभरने के साथ, गंभीर को सीमित ओवरों की टीमों में नहीं चुना जा रहा था।
उन्होंने 2016 में कुछ टेस्ट खेले लेकिन बाद में उन्हें टेस्ट टीम में भी नहीं चुना गया। 36 साल की उम्र में, गंभीर ने 2018 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की।
3. वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग की गिनती दुनिया के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में की जाती हैं। यह पूर्व क्रिकेटर ताबड़तोड़ अंदाज में बल्लेबाजी करने के लिए जाना जाता था।
सहवाग के टेस्ट करियर की बात की जाए तो उन्होंने 104 मैच खेले है और 49.34 के औसत की मदद से 8586 रन बनाये है। टेस्ट में उनके नाम 23 शतक, 6 दोहरे शतक, 2 तिहरे शतक और 32 अर्धशतक दर्ज है।
वहीं उन्होंने भारत के लिए 251 वनडे मैच खेले है और 35.06 के औसत की मदद से 8273 रन बनाये है। इस दौरान उनके बल्ले से 15 शतक, एक दोहरा शतक और 38 अर्धशतक लगाए है।
वहीं 19 टी20 इंटरनेशनल मैच में उनके नाम 394 रन दर्ज है। सहवाग 2007 का टी20 वर्ल्ड कप और 2011 का वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
सहवाग ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 2013 में खेला था और उसके बाद उन्हें नहीं चुना गया था। नतीजतन, सहवाग ने 2015 में फेयरवेल मैच खेले बिना ही संन्यास की घोषणा कर दी।
2. सुरेश रैना
15 अगस्त 2020 को सुरेश रैना ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की और उनके इस फैसले ने कई लोगों को हैरान कर दिया। वो कुछ और साल क्रिकेट खेल सकते थे।
इस बात में कोई शक नहीं है कि रैना भारत के लिए सीमित ओवरों की क्रिकेट के शानदार खिलाड़ी रहे हैं। रैना ने संन्यास का फैसला क्यों लिया वो ही बेहतर समझते हैं। अन्य खिलाड़ियों की तरह रैना ने भी बिना फेयरवेल मैच खेले ही संन्यास की घोषणा कर दी।
1. एमएस धोनी
इस लिस्ट में टॉप पर पूर्व दिग्गज भारतीय कप्तान एमएस धोनी काबिज है। एमएस धोनी के संन्यास लेने से पहले उनके बारे में सब कुछ कहा और लिखा जा चुका हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि एमएस धोनी फेयरवेल मैच के हकदार थे।
उन्होंने रैना के संन्यास लेने से कुछ समय पहले संन्यास लिया था। उन्होंने अपना आखिरी मैच 2019 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था।
अगर उन्हें फेयरवेल मैच चाहिए होता तो वह खेल लेते और उन्हें कोई नहीं रोक सकता था लेकिन उनकी संन्यास लेने की शैली बार-बार बताती है कि उन्हें फेयरवेल मैच में कोई दिलचस्पी नहीं थी।