आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का आठवां एडिशन अक्टूबर-नवंबर में ऑस्ट्रेलिया में खेला जाएगा। प्रतियोगिता में भारतीय टीम को काफी सफलता मिली है। उन्होंने 2007 के टी20 वर्ल्ड कप का पहला एडिशन अपने नाम कर लिया।
वहीं 2014 में टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया लेकिन श्रीलंका ने उन्हें हार का स्वाद चखा दिया। कुछ खिलाड़ी ऐसे भी थे जो इन दोनों एडिशन में भारत के लिए खेलते हुए दिखाई दिए थे।
तो आज हम आपको उन तीन भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने एक से ज्यादा बार टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला है।
1) एमएस धोनी- 2 बार (2007 और 2014)
एमएस धोनी उन भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने एक से ज्यादा मौकों पर टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में खेला है। वह अब तक इस वर्ल्ड कप के 6 एडिशन में खेले और सभी में भारत की कप्तानी की।
वहीं 2021 के वर्ल्ड कप में एमएस धोनी भारतीय टीम के मेंटर के तौर पर दिखाई दिए थे। इस वर्ल्ड कप में भारत ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।
2007 और 2014 के वर्ल्ड कप फाइनल में एमएस धोनी बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब नहीं रहे। 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ वो 6 रन बनाकर आउट हो गए। वहीं 2014 के वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 7 गेंद खेली और 4 रन बनाकर नाबाद लौटे।
धोनी के टी20 इंटरनेशनल करियर की बात करें तो उन्होंने 98 मैच खेले है और 126.13 के स्ट्राइक रेट की मदद से 1617 रन बनाये है। इस दौरान वो 2 अर्धशतक लगाने में कामयाब रहे है।
2) रोहित शर्मा- 2 बार (2007 और 2014)
रोहित शर्मा 2007 में निचले मध्यक्रम में एक युवा क्रिकेटर थे, जबकि वह 2014 के एडिशन में भारतीय टीम के मुख्य सलामी बल्लेबाज थे। इन दोनों वर्ल्ड कप के फाइनल में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था।
2007 के फाइनल में उन्होंने 16 गेंद में 2 चौको और एक छक्के की मदद से नाबाद 30 रन की पारी खेली और टीम को वर्ल्ड कप जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं 2014 के फाइनल में उन्होंने 26 गेंदों में 3 चौको की मदद से 29 रन का योगदान दिया। भारतीय टीम को इस फाइनल में श्रीलंका ने 6 विकेट से हरा दिया था।
रोहित शर्मा के टी20 इंटरनेशनल करियर की बात की जाए तो उन्होंने 125 मैच में भारत को रिप्रेजेंट करते हुए 32.48 के औसत की मदद से 3313 रन बनाये है। इस दौरान उनके बल्ले से 4 शतक और 26 अर्धशतक देखने को मिले है।
3) युवराज सिंह- 2 बार (2007 और 2014)
युवराज सिंह 2007 में अपने चरम पर थे, लेकिन दुर्भाग्य से 2014 में वो अपने करियर की सबसे खराब फॉर्म से गुजरे थे। दोनों फाइनल मैच में युवराज अपना असर छोड़ने में नाकाम रहे।
2007 में, उन्होंने 18 गेंदों में 14 रन बनाए, जबकि 2014 में उन्होंने 21 गेंदों में ग्यारह रन की पारी खेली। श्रीलंका के खिलाफ वो तेजी से रन नहीं बना पाए और यह फाइनल मैच में भारत की हार के कारणों में से एक था।
2014 के फाइनल में एमएस धोनी पहले क्रीज पर आते, शायद भारत को बोर्ड पर और रन बनाने का मौका मिल जाता और शायद भारत दूसरा वर्ल्ड कप भी जीत जाता।
युवराज सिंह के टी20 इंटरनेशनल करियर की बात करें तो उन्होंने 58 मैच खेले है और 136.38 के स्ट्राइक रेट की मदद से 1177 रन अपने खाते में जोड़े है। टी20 इंटरनेशनल में उनके नाम 8 अर्धशतक दर्ज है। वहीं गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 28 विकेट लिए है।