भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम में पिछले एक साल में 2 खिलाड़ियों की टीम में जगह को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा देखने को मिली है। जिसमें एक नाम नंबर-3 पर खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा और दूसरे अजिंक्य रहाणे हैं।
इन दोनों के खराब प्रदर्शन का असर टेस्ट टीम की बल्लेबाजी पर साफतौर पर देखने को मिला। जिसके चलते बाकी बल्लेबाजों पर अतिरिक्त दबाव भी दिखा।
विदेशी दौरों पर खेले गए टेस्ट मैच में इसका सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिला। एक तरफ जहां टेस्ट कप्तान विराट कोहली का पिछले 2 सालों से एक भी शतकीय पारी ना खेल पाना।
वहीं दूसरी तरफ इन दोनों ही अहम बल्लेबाजों का फॉर्म टीम के लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय रहा है।
क्योंकि यदि ओपनिंग जोड़ी जल्दी पवेलियन लौट जाती है तो ऐसी स्थिति में टीम के लिए विदेशी टेस्ट मैचों में 200 का स्कोर पार करना भी एक मुश्किल भरी बात साबित होता दिखता है।
अजिंक्य रहाणे के खराब फॉर्म के बावजूद टीम मैनेजमैंट ने लगातार उनके ऊपर भरोसा कायम रखा।
लेकिन अफ्रीका दौरे पर जाने से पहले उनसे उप-कप्तानी लिए जाने से यह संदेश साफ हो गया था, कि यह उनके साथ पुजारा के लिए भी आखिरी मौका हो सकता है।
क्योंकि टीम में पहले से ही हनुमा विहारी और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी अपने मौके का इंतजार लगातार कर रहे हैं।
जोहान्सबर्ग टेस्ट मैच की दूसरी पारी ने क्या बचा लिया दोनों का करियर?
साल 2021 में रहाणे के बल्ले से 20 के करीब औसत से रन देखने को मिले थे और ऐसा ही कुछ पुजारा की बल्लेबाजी में भी देखा गया था।
साल 2022 की शुरुआत भी दोनों ही बल्लेबाजों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही। साउथ अफ्रीका के खिलाफ जोहान्सबर्ग टेस्ट मैच की पहली पारी में पुजारा जहां 33 गेंदों में 3 रन बनाकर पवेलियन लौटे।
वहीं रहाणे गोल्डन डक पर पवेलियन चलते बने। जिसके बाद सभी विशेषज्ञों का मानना था कि यह उनके करियर का आखिरी मैच साबित होने वाला है।
ऐसी स्थिति दोनों के ऊपर दूसरी पारी में बेहतर प्रदर्शन करने का सबसे ज्यादा दबाव था।
पुजारा और रहाणे के बीच में जहां शतकीय साझेदारी देखने को मिली वहीं दोनों ने अर्धशतक लगाते हुए टीम को मजबूत स्थिति में लेकर जाने का भी प्रयास किया।
इन दोनों ही बल्लेबाजों की इस पारी के दौरान जो एक खास बात देखी गई वह सकारात्मक तरीके से लगातार रन बनाना। जिसमें पुजारा के स्ट्राइक रेट ने सभी को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
अब इस पारी के बाद ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है, कि पुजारा और रहाणे अपने टेस्ट करियर को बचाने में एक तरह से कामयाब भी हो गए हैं।