भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैदान के अंदर और बाहर लिए गए अपने फैसलों से हर बार सभी को चौंकाया है।
साल 2011 में भारत को वर्ल्ड कप जिताने वाले धोनी ने साल 2014 में टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास ले लिया था। और 3 साल बाद 2017 में सीमित ओवरों की कप्तानी से भी हट गए थे।
तो आज हम धोनी द्वारा लिए गए उन यादगार फैसलों के बारे में आपको बताने जा रहे है जो भारतीय क्रिकेट के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुए है।
वर्ल्ड कप फाइनल में खुद को प्रमोट करना
साल 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में भारत का मुकाबला श्रीलंका से हुआ था और श्रीलंका ने भारत के सामने 275 रनों का टार्गेट दिया था।
ओपनर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर जल्दी आउट हो गए थे और जब विराट आउट हुए तब भारतीय टीम का स्कोर 3 विकेट खोकर 114 रन था।
ऐसे में हर किसी को उम्मीद थी कि युवराज सिंह बल्लेबाज़ी करने आएंगे। लेकिन एमएस धोनी बल्लेबाजी करने के लिए आये इसके बाद की कहानी तो इतिहास के पन्नों में लिखी जा चुकी हैं।
उस रात धोनी ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए और अपने स्टाइल में छक्का जड़ते हुए भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड कप जितवा दिया।
युवराज सिंह को प्रोत्साहित करना
धोनी को पता था कि युवराज वर्ल्ड कप जैसे दबाव वाले टूर्नामेंट में क्या करके दिखा सकते है। इसलिए धोनी ने एक गेंदबाज के रूप में युवराज का आत्मविश्वास बढ़ाना शुरू किया और उन्हें पांचवें गेंदबाज के रूप में इस्तेमाल करने लगे।
धोनी का यह फैसला सही साबित हुआ। युवराज ने उस वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार अपने नाम किया। वह वर्ल्ड कप में भारत की सफलता के हीरो बने क्योंकि उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से अपना योगदान दिया।
जोगिंदर शर्मा पर भरोसा दिखाना
टी20 वर्ल्ड कप के पहले एडिशन में फाइनल में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच बेहद रोमांचक स्थिति में पहुंच गया था। पाकिस्तान को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन बनाने थे और स्ट्राइक पर मिस्बाह-उल-हक खड़े हुए थे।
कोई अन्यअनुभवी गेंदबाज आखिरी ओवर कराता लेकिन, कप्तान एमएस धोनी अलग ही गेम प्लान अपने दिमाग में तैयार कर चुके थे।
धोनी ने आखिरी ओवर में गेंदबाजी जोगिंदर शर्मा से करवाई और धोनी की यह प्लानिंग यह सफल हुई क्योंकि जोगिंदर ने मिस्बाह को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया था। धोनी के दांव ने भारत पहली बार वर्ल्ड टी20 ट्रॉफी जीत गया था।
टेस्ट में विराट कोहली का समर्थन
साल 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के शुरुआती चरण में विराट का प्रदर्शन काफी खराब था और इससे पहले भी, साल 2011 में उनका इंग्लैंड दौरा खराब गया था। जहां भारत को इंग्लैंड के हाथों 4-0 से हार का सामना करना पड़ा था।
ऑस्ट्रेलिया में तीन टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद रोहित शर्मा को मौका मिलने की बात की जा रही थी लेकिन धोनी ने कोहली को प्लेइंग इलेवन में स्थान दिया। कोहली ने धोनी के इस फैसले को सही साबित करते हुए एडिलेड टेस्ट में शतक बनाया।
इसमें कोई शक वाली बात नहीं है कि अगर धोनी विराट का समर्थन नहीं करते तो विराट आज इतने सफल क्रिकेटर नहीं बन पाते।
रोहित शर्मा से ओपनिंग करवाना
रोहित ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत मध्यक्रम का बल्लेबाज के तौर पर की थी। जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया । जिसके बाद धोनी ने उनके टैलेंट को देखते हुए उनके बल्लेबाजी क्रम बदलाव किया।
रोहित ने साल 2013 में शिखर धवन के साथ साझेदारी करते हुए शानदार पारी खेल कर दिखाई और उसके बाद से एक सलामी बल्लेबाज के रूप में रोहित लगातार रन बनाते रहे।
रोहित वर्तमान में इकलौते ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने ओडीआई मैचों में तीन दोहरे शतक और टी20 में चार शतक जड़े है। इसलिए कहा जा सकता है कि, महेंद्र सिंह धोनी के मास्टरस्ट्रोक ने रोहित को एक बेहतरीन बल्लेबाज बना दिया।