टी20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले आईपीएल में डेविड वार्नर खराब फॉर्म से गुजर रहे थे। इस वजह से सनराइजर्स हैदराबाद उन्हें पहले कप्तानी से और बाद में प्लेइंग इलेवन से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
ऐसे में टीम वर्ल्ड कप से ठीक पहले वार्नर जैसे बेहतरीन बल्लेबाज के फॉर्म में न होने से ऑस्ट्रेलिया टीम मैनेजमेंट भी परेशान था लेकिन जिस शानदार तरीके से वार्नर ने बल्लेबाजी की उससे उनके सभी आलोचकों का मुँह बंद हो गया। उन्होंने इस वर्ल्ड कप में कई बेहतरीन पारियां खेली।
रविवार को ऑस्ट्रेलिया के पहली बार टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन बनने के बाद कप्तान आरोन फिंच ने वार्नर को लेकर कहा कि टीम के कोच जस्टिन लेंगर ने कुछ महीने पहले उन्हें फोन किया और डेविड वार्नर के फॉर्म पर अपनी चिंता जाहिर की थी।
ऐसे में फिंच ने कोच को उनके फॉर्म की चिंता नहीं करने को कहा था।
फिंच ने लेंगर से कहा कि, ‘आप वार्नर के फॉर्म के बारे में चिंता मत कीजिये वो वर्ल्ड कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनेंगे।’
फिंच की ये भविष्यवाणी रविवार को सच साबित हो गयी और वार्नर को वर्ल्ड कप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। वार्नर ने इस वर्ल्ड कप में 7 मैच खेले और 146.70 के स्ट्राइक रेट के साथ 289 रन जड़े।
इस दौरान उनका बल्ले से 3 अर्धशतक भी निकले और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89* उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ आया। वो टूर्नामेंट में बाबर आजम (303) के बाद सबसे ज्यादा रन बनाने के मामलें में तीसरे स्थान पर काबिज हुए।
अभ्यास मैचों में न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ वार्नर 0 और 1 रन की पारी खेलकर आउट हो गए थे। उसके बाद सुपर-12 राउंड के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केवल 14 रन ही बना पाए। जिससे उनकी फॉर्म पर सवाल खड़े किये जानें लगे।
श्रीलंका के खिलाफ मैच में 65 रन की शानदार पारी खेलकर आलोचकों के मुँह पर ताला लगा दिया लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ वो केवल 1 रन बनाकर चलते बने और बांग्लादेश के खिलाफ भी वो 18 रन ही बना पाए।
लेकिन सुपर-12 दौर के आखिरी मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 89 रन की पारी खेलकर बता दिया कि कोई उन्हें हल्के में न ले।
सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 49 रन बनाकर टीम को फाइनल में पहुंचाने में मदद की। इसके बाद फाइनल में 53 रन की पारी खेलकर और मिचेल मार्श के साथ 92 रन की साझेदारी करके ऑस्ट्रेलिया को पहली बार टी20 चैंपियन बनवा दिया।