जब आपको दूसरा मौका नहीं मिले तो आपको बहुत निराशा होती है और आप सोचते है कि काश मुझे दूसरा मौका मिलता तो मैं कुछ करके दिखा सकता था।
ऐसा ही कुछ खिलाड़ियों के साथ देखने को मिलता है। जहां खराब फॉर्म के बावजूद किसी सीनियर खिलाड़ी को लंबे समय तक खेलने का मौका मिल जाता है, उन्हें लंबे समय के बाद ही टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है।
तो वहीं कुछ खिलाड़ियों को खराब खेलने पर तुरन्त बाहर का रास्ता दिखाते है और उन्हें दोबारा मौका भी शायद ही मिलता होगा। लेकिन कुछ ऐसे दिग्गज खिलाड़ी होते हैं जो नाटकीय अंदाज में वापसी करने में सफल रहते है।
तो इसी चीज को लेकर आज हम आपको भारतीय टीम के ऐसे 3 दिग्गजों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने नाटकीय अंदाज में राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में वापसी करके दिखाई।
3. हरभजन सिंह
जब 2001 में ऐतिहासिक कोलकाता टेस्ट में शानदार प्रदर्शन करके स्पिनर हरभजन सिंह ने सभी को दिखा दिया था कि वो लंबी रेस के घोड़े है।
मगर 2007 के बाद से भज्जी के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली। उन्हें 2011 में उन्हें वनडे टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वह 2012 आईपीएल में भी अच्छा और 2013 में उन्हें टेस्ट टीम से भी बाहर कर दिया गया।
अश्विन के आने से टर्बनेटर की वापसी करने की राह में और मुश्किलें पैदा हो गयी। हरभजन ने 2014 और 2015 के आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया।
उनके इस शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के लिए उनकी टीम में शामिल किया गया। इसके बाद ज़िम्बाब्वे दौरे के लिए वनडे और टी20 टीम में भी उनको जगह मिली।
हरभजन ने कड़ी मेहनत करके टीम में दोबारा जगह तो जरूर बनाई, लेकिन वह अपने प्रदर्शन से प्रभावित करने में सफल नहीं हुए और टीम में दोबारा वापसी नहीं कर सके।
2. सौरव गांगुली
जब भी भारतीय टीम में वापसी की बात होती है तो सबसे पहले सौरव गांगुली का नाम सामने आता है। गांगुली वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने वनडे डेब्यू में सिर्फ तीन रन ही बना पाए थे।
उन्हें तुरंत टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उन्होंने 1996 में वो वनडे टीम में वापसी आये और फिर इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर उन्हें टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिल गया, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू को बाहर बिठा दिया गया था।
गांगुली ने डेब्यू मैच में शानदार शतक लगाया और इस उपलब्धि को हासिल करने वाले वो भारत के तीसरे क्रिकेटर बने। खराब फॉर्म और 2005 में कोच ग्रेग चैपल से विवाद के कारण गांगुली को कप्तानी छोड़नी पड़ी।
गांगुली को विवादस्पद रूप से बाहर किए जाने के बाद देशभर में चैपल का विरोध भी हुआ। हालांकि सौरव गांगुली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2006 में नाटकीय अंदाज में जोरदार तरीके से टीम में वापसी की।
उन्होंने इस दौरे पर बल्ले से खूब रन बटोरे। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने वनडे टीम में वापसी करते हुए पहले ही मैच में 98 रनों की बेहतरीन पारी खेली।
1. मोहिंदर अमरनाथ
मोहिंदर अमरनाथ 1969 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली बार टेस्ट में मैदान पर खेलने उतरे थे, लेकिन वह प्रभावित करने में सफल नहीं हो पाए और टीम से जल्दी बाहर निकाल दिया गया।
उन्हें टेस्ट टीम में दूसरा मौका पाने के लिए सात सालों का लंबा इंतजार करना पड़ा और आखिरकार 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम में उनकी वापसी हुई।
अमरनाथ ने वापसी के बाद 64 रन की शानदार पारी खेली और क्राइस्टचर्च में हुए अगले टेस्ट में 75 रन बनाने के साथ-साथ गेंदबाजी करते हुए भी 4 विकेट अपने नाम किये।
अमरनाथ उस समय टेस्ट और वन-डे में काफी कामयाब हुए थे। शुरुआत में वह गेंदबाजी ऑलराउंडर के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद को ऊपरी क्रम के बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर लिया।
वह भारत के 1983 विश्व कप विजेता टीम का भी प्रमुख हिस्सा थे। विश्व कप में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट के अवार्ड से भी नवाजा गया था।
उन्होंने अपने करियर में कई खराब दौर देखें, लेकिन वह कुछ समय के लिए ही टीम से बाहर रहे और हर बार जोरदार वापसी करके दिखाई। भारतीय क्रिकेट की बात करें तो अमरनाथ को वापसी का बादशाह मानते थे।