दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत ने आज मैदान पर बेहद शर्मनाक हरकत करते हुए उनके सभी प्रशंसकों को निराश किया और अपनी इज्जत खो दी।
दरअसल पारी के अंतिम ओवर में दिल्ली को जीत के लिए 36 रन चाहिए थे और रोवमन पावल ने पहली 3 गेंदों पर 3 छक्के जड़ दिए।
ऋषभ पंत ने अंपायर के नो बॉल ना देने पर खिलाड़ियों को ड्रेसिंग रूम में वापस बुलाने के लिए इशारा किया। यह बेहद शर्मनाक था क्योंकि अंपायर ने 50-50 जैसा फैसला दिया था।
ऐसे केस में जहां बल्लेबाज झुका हुआ हो और गेम कमर से थोड़ी सी ऊपर हो अमूमन अंपायर नो बॉल नहीं देते हैं। क्योंकि बल्लेबाज के सीधा खड़े रहने पर गेंद कमर से नीचे होती।
सीएसके के पूर्व बल्लेबाज और मेंटर शेन वाटसन ने आकर स्थिति को संभाला और खेल की गरिमा को बचा लिया। अगर खिलाड़ी वापस आ जाते तो यह आईपीएल के इतिहास का सबसे शर्मनाक पल होता।
ऋषभ पंत यहां भी नहीं माने उन्होंने एक सपोर्ट स्टाफ को मैदान में भेज कर अंपायरों पर दबाव डाला कि इसे नो बॉल दिया जाए।
ऋषभ पंत ने यहां बहुत बड़ी गलती कर दी क्योंकि जितना समय बर्बाद हुआ उससे बल्लेबाज की लय खो गई और अगले 3 गेंदों पर वह एक भी छक्का नहीं लगा पाया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऋषभ हार से झुंझलाए हुए नजर आए। वह इस बात पर अड़े रहे कि वह गेंद नो बॉल और अंपायर ने बेहद खराब फैसला दिया था।
पूरी घटना इस प्रकार से थी कि आखिरी ओवर में पॉवेल को उनके हमवतन गेंदबाज द्वारा फेंकी गई तीसरी गेंद फुलटास थी जो रोवमन पॉवेल ने छक्के के लिए मैदान के बाहर भेजी थी।
गेंद ऊपर जरूर थी पर इतनी नहीं कि उसको नोबॉल करार दे दिया जाता। इसके पीछे दो कारण थे पहली चीज तो यह की गेंद नीचे की तरफ बढ़ रही थी।
पावेल ने गेंद को क्रीज से 3 से 4 फीट पहले ही हिट किया था। बैटिंग क्रीज के पास पहुंचकर गेंद कमर से नीचे रहती और रीप्ले में साफ दिख रहा था कि बल्ले से लगने के समय यह कमर से केवल कुछ इंच ही ऊपर थी।
दूसरी चीज यह थी कि पावेल सीधे खड़े नहीं थे उनके पैर फैले हुए थे और उनकी नॉर्मल पोजीशन पर देखा जाए तो यह कमर से नीचे आई थी।
साथ ही यह भी है कि मैदानी अंपायर के नोबॉल के फैसले को थर्ड अंपायर अपने आप नहीं चेक करता है। वह केवल फ्रंट फुट नोबॉल देखता है।
कई बार यदि विकेट गिरता है और कुछ गुंजाइश रहती है तो मैदानी अंपायर खुद ही रेफर करते हैं। बिना विकेट गिरे के केस में ऐसा नहीं होता है।