अंपायर किसी भी क्रिकेट गेम के दिल की धड़कन होते हैं। पहले जब क्रिकेट में डीआरएस नहीं हुआ करते थे तो अंपायर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहती थी।
2008 के सिडनी टेस्ट को कौन भूल सकता है जहां मार्क बेन्सन और स्टीव बकनर की जोड़ी ने काफी गलतियां की थी।
वहीं पिछले साल मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच खेले गए मैच में वह नो-बॉल जो अंपायर एस रवि ने नहीं दी थी। अंपायरिंग की गलतियां इस खेल से दशकों से जुड़ी हुई हैं।
तो उसी चीज को लेकर आज हम आपको उन 5 फेमस अंपायर्स के बारे बताने जा रहे है जिन्होंने अपने करियर के दौरान कई गलत फैसले दिए।
5. बिली बॉडेन
बॉडेन के डिसीजन देने के अंदाज को हर कोई पसंद करता था। छक्के का इशारा करते हुए हाथ को धीरे-धीरे हवा में उठाना वहीं चौके के लिए हाथ के साथ पैरों को भी लहराते थे। हालांकि उन्होंने अपने करियर के दौरान कई गलत फैसले भी दिए।
कौन भूल सकता है कि 2005 की एशेज के दौरान ब्रेट ली ने साइमन जोन्स को इनस्विंगिंग यॉर्कर डाली जो सीधे उनके पैड से जा टकराई। साफ था कि गेंद मिडिल-स्टंप पर लग रही थी।
वहीं बॉडेन ने ऑस्ट्रलिया खिलाड़ियों की एलबीडब्ल्यू की अपील को ठुकरा दिया और बताया की गेंद लेग स्टंप के बाहर की ओर जा रही है विकेट से नहीं टकरा रही है।
हालांकि यह एक उदाहरण नहीं है। 2005 में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी को बॉडेन ने एशवेल प्रिंस को एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया था। गेंदबाजी शेन वार्न कर रहा था। साफ दिखाई दे रहा था की गेंद ऑफ स्टंप से नहीं टकरा रही थी।
4. अशोक डी सिल्वा
अशोक डी सिल्वा ‘ए शॉकर’ नाम से मशहूर है। श्रीलंका का यह अंपायर अपने फैसले लेने में इन्कन्सीस्टेन्ट थे। हालांकि जो कंसिस्टेंट था वो डी सिल्वा के गलत फैसले देना था।
ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच 2003 में हुई टेस्ट सीरीज में इस श्रीलंकाई अंपायर ने कई चौंकाने वाले फैसले दिए थे। गुयाना में जस्टिन लैंगर को आउट देने का फैसला चौंकाने वाला था।
ऐसा ही एक और फैसला दूसरे टेस्ट मैच के दौरान मैथ्यू हेडन के साथ देखने को मिला जब डी सिल्वा ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया। हालांकि साफ दिखाई दे रहा था कि गेंद लेग-स्टंप के बाहर पिच हुई थी।
वहीं 2011 वर्ल्ड कप में डी सिल्वा, जिनकी सफलता दर 50 प्रतिशत से कम थी। उनको टूर्नामेंट के प्रमुख मुकाबलों में अंपायरिंग से हटा दिया गया था, क्योंकि उनके कई फैसलों को डीआरएस द्वारा उलट दिया गया था।
3. कुमार धर्मसेना
इस लिस्ट में श्रीलंका के कुमार धर्मसेना भी अपना नाम दर्ज करवाने में सफल हो गए है। धर्मसेना की गलतियाँ करने की आदत मैदान पर और बाहर दोनों जगह एक समान रहती हैं।
बांग्लादेश और इंग्लैंड के बीच चटगांव टेस्ट के दौरान धर्मसेना ने 16 फैसले दिए और उनमें से आधे गलत निकले। डिसीजन रिव्यु सिस्टम (डीआरएस) द्वारा आठ फैसलों को पलट दिया गया।
धर्मसेना ने एक और गलत फैसला 2019 के वर्ल्ड कप फाइनल में दिया था। फाइनल मैच इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच हुआ था।
बेन स्टोक्स ने शॉट मारा और वो दूसरा रन लेने की कोशिश कर रहे थे तभी मार्टिन गप्टिल का थ्रो स्टोक्स के बल्ले से टकराने के बाद बॉउंड्री के पार चला गया था। जिसके बाद धर्मसेना ने पांच की जगह इंग्लैंड के स्कोर में छह रन जोड़ने का इशारा कर दिया था।
आईसीसी के शीर्ष अंपायर टॉफेल ने कहा था कि थ्रो के समय तक बल्लेबाज आपस मे क्रॉस नहीं हुए थे इसलिये 4 रन और 1 पूरा किया गया रन ही मान्य था।
यह मैच बाद में टाई हो गया था और सुपर ओवर में भी दोनों टीमों ने समान रन बनाए थे। हालांकि बाद में इंग्लैंड को अधिक बाउंड्री लगाने के कारण विजेता घोषित कर दिया गया था।
वहीं बाद में अंपायर कुमार धर्मसेना ने माना था कि वर्ल्ड कप फाइनल में ओवरथ्रो पर इंग्लैंड को छह रन देना उनकी गलती थी।
2. डैरेल हेयर
डैरेल हेयर अपनी अंपायरिंग करियर की शुरुआत से ही विवादों में रहे थे और इसी वजह से वो इस लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाने में सफल हो गए है।
उन्होंने सन् 1995 में मेलबर्न टेस्ट के दौरान श्रीलंकाई गेंदबाजी मुथैया मुरलीधरन के 3 ओवर में 7 बार उनकी गेंदों को नो बॉल दे दिया था। हेयर, जिन्होंने मुरली के गेंदबाजी एक्शन को अवैध करार दिया था।
उन्होंने आईसीसी के नियमों का भी पालन नहीं किया जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया हैं कि एक अंपायर को मैदान पर ऐसे फैसले करने के बजाय मैच-रेफरी को गेंदबाज के अवैध एक्शन की रिपोर्ट करनी चाहिए।
साल 2006 में हेयर ने इंग्लैंड-पाकिस्तान के बीच ओवल टेस्ट के दौरान पाकिस्तानी टीम पर गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा दिया था और इंग्लैंड को 5 पेनल्टी रन दे दिए थे।
इस वजह से उनकी काफी आलोचना हुई थी और 4 नवंबर 2006 को आईसीसी ने उनपर बैन लगा दिया था।
1. स्टीव बकनर
इस लिस्ट में जमैका के स्टीव बकनर का नाम टॉप पर काबिज है। उन्होंने नासिर हुसैन, कीथ आर्थरटन, एशवेल प्रिंस, राहुल द्रविड़ मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के खिलाफ गलत फैसले दिए थे।
हालांकि इनमे सचिन को गलत आउट देने किआ फैसला ज्यादा चर्चा में रहा था और इसी वजह से उनकी काफी आलोचना भी की गयी थी। साल 2003 में ब्रिसबेन में उन्होंने सचिन को गलत एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया था।
उस मैच में गेंदबाजी ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज जेसन गिलस्पी की बाउंस वाली गेंद को छोड़ते हुए सचिन ने अपना बल्ला पीछे किया और गेंद पैड के काफी ऊपर लगते हुए कीपर के पास चली गयी।
वहीं जब ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा अपील की गई तो स्टीव बकनर ने सचिन को आउट करार दिया। सचिन को बकनर ने कई बार गलत आउट दिया। उनको स्लो डेथ नाम से जाना जाता था। यह करियर के आखिरी दौर में था कई बार वह खड़े खड़े सोते रहते थे और अपील पर कुछ भी रैंडम फैसला देते थे।
वहीं 2008 में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में खेले जा रहे टेस्ट मैच में राहुल द्रविड़ को गलत आउट दे दिया था। बकनर ने राहुल द्रविड़ को कौट बिहाइंड आउट दे दिया था, जबकि गेंद द्रविड़ के बैट के आसपास भी नहीं थी।
स्टीव बकनर का अगला गलत फैसला 2007-08 की उस बॉर्डर गावस्कर सीरीज में देखने को मिला। दरअसल इशांत शर्मा की गेंद पर एंड्रयू सायमंड्स के बल्ले का किनारा लगा और विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने गेंद को कैच करते हुए आउट की अपील की।
लेकिन इतना मोटा किनारा लगने के बाद भी बकनर ने सायमंड्स को नॉट आउट दे दिया । लेकिन बाद में जब रीप्ले में दिखाया गया तो साफ दिखाई दे रहा था कि बल्ले का एक मोटा बाहरी किनारा गेंद से लगा है। ऐसे और भी कई गलत फैसले उन्होंने दिए है।