क्रिकेट में फील्डिंग रेस्ट्रिक्शन, पावरप्ले, रन-आउट, एलबीडब्ल्यू, डकवर्थ लुईस, फ्री-हिट- क्रिकेट के ऐसे कॉम्प्लिकेटेड रूल्स की लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही है।
तो उसी चीज को लेकर आज हम आपको उन 5 रूल्स के बारे में बताने जा रहे है जो फैंस को हैरान कर सकते हैं।
5. वाइड बॉल
सबसे सरल लेकिन सबसे अजीब फैसला वाइड हो सकता हैं। उदाहरण के लिए, एक बल्लेबाज स्टंप के बाहर एक या दो कदम आगे बढ़ाता हैं। ऐसे में बॉल को वाइड देना सही नहीं होगा, भले ही गेंद मार्क की हुई लाइन को पार कर जाए।
वहीं जब बल्लेबाज केवल अपनी क्रीज पर आगे पीछे होता है और अपने स्टांस में वापस आ जाता हैं तो गेंदबाज वाइड डालता है, तो अंपायर भ्रमित हो सकता हैं कि क्या बल्लेबाज गेंद के लिए आगे बढ़ रहा था और डिलीवरी के समय वापस आ गया था।
क्रिकेट के इन दिनों में, बल्लेबाजों के साथ ऐसा बहुत हो सकता हैं जो गेंदबाज की लय को बिगाड़ने की कोशिश में हिलते डुलते रहते हैं।
ग्लेन मैक्सवेल और डेविड वार्नर, स्विच-हिट के उस्ताद है अपने स्टांस को पूरी तरह से बदल देते हैं, जिससे अंपायरों के लिए फैसला करना मुश्किल हो जाता हैं।
4. एलबीडब्ल्यू
यह रूल खेल के इतिहास में सबसे अधिक बहस वाले रूल्स में से एक होना चाहिए।
यहां तक कि एक रेगुलर क्रिकेट फॉलोअर के लिए भी, यह अभी भी कभी-कभी एक मिस्ट्री है कि बल्लेबाज को ऐसी गेंद पर आउट क्यों नहीं दिया जाता है जो निश्चित ही स्टंप्स को हिट कर रही हो।
खेल के शुरुआती सालों में विकेट तभी दिया जाता था जब गेंद स्टंप्स की लाइन पर पिच करती थी और स्टंप्स को हिट करती थी। गेंदों को ऑफ स्टंप के बाहर पिच करने और स्टंप की लाइन में बल्लेबाज को हिट करने की अनुमति देने का फैसला बाद में आया।
एक दाएं हाथ के गेंदबाज को विकेट पर गेंदबाजी करते हुए बाएं हाथ के बल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू आउट करने के लिए ओवर द विकेट गेंदबाजी करनी चाहिए। जो कई गेंदबाजों के लिए ज्यादा पसंदीदा तरीका है।
इसके बाद गेंदबाज अपील करता है, खिलाड़ी को आउट देना है या नहीं वो अंपायर के हाथों में है। यदि आधी से ज्यादा गेंद स्टंप की लाइन से बाहर गिरती हैं, तो इसे नॉट आउट माना जाता है, और ऐसा ही विकेट के सामने इम्पैक्ट के मामले में भी ऐसा ही है।
इसमें तकनीक की मदद से फैसलों की बारीकी से जांच करें, और यह निश्चित रूप से किसी ऐसे व्यक्ति को समझाना शुरू करने का सबसे अच्छा नियम नहीं है।
डीआरएस रूल आ गए है जिससे खिलाड़ी अंपायर द्वारा एलबीडब्ल्यू (अन्य तरीके द्वारा आउट दिए जानें पर भी) के फैसले के लिए थर्ड अंपायर के पास जा सकते हैं।
3. बाउंड्री कहां होती है ?
टी20 क्रिकेट के आने के बाद से बाउंड्री की लंबाई छोटी की गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा चौके छक्के लग सके और दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिले। इसकी कोई तय सीमा नहीं है जो हर बार बदलती है।
पर समस्या यह होती है कि अगर एक फील्डर अगर गेंद को रोकते समय बाउंड्री की रस्सी या कुशन को आगे या पीछे खिसका दे, तो अब आगे या पीछे जहां रस्सी जाती है उसी नई जगह को बाउंड्री माना जाता है। अंपायर भी
2. डकवर्थ लुईस
डकवर्थ और लुईस नाम के दो लोगों ने इस रूल को इजात किया था। यह रूल एक आम फैन की समझ से काफी परे है। इसकी कैलकुलेशन सिर्फ स्पेशलिस्ट ही कर सकता हैं।
यह रूल दूसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को ज्यादा फेवर करता हैं। यह टी20 क्रिकेट में.थोड़ा ठीक है जब 35-40 ओवर रह गए हो लेकिन लगभग 10-15 ओवर के मामले में यह खेल का पूरा रंग ही बदल सकता हैं।
रूल के अनुसार यह गेंदबाजों पर विचार नहीं करता जो बचे हुए ओवरों में गेंदबाजी करने जा रहे हैं और उन बल्लेबाजों पर भी नहीं जो आगे खेलने आने वाले है।
1. नेट रनरेट
1999 के वर्ल्ड कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया को नेट रन रेट का महत्व समझाया।
उन्होंने टॉम मूडी को बल्लेबाजी करने के लिए भेजा ताकि तेजी से रन बनाये जा सके ताकि वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने के लिए सिर्फ वेस्टइंडीज को हराने की जरूरत पड़े।
यह कुछ ऐसा था जिसका उन्हें मैच से पहले पता था ताकि वह उसी अनुसार प्लानिंग कर सके। नेट रन रेट के साथ समस्या यह है कि कई बार करीबी मैच जीतने पर भी यह घट सकता हैं।
यही नहीं रन रेट में ओवर भी देखे जाते हैं। यानी अगर कोई टीम 200 रनों का पीछा करते हुए 20 ओवरों मव 180 रन बना लेती है तो उसको रन रेट में 15 ओवरों में 155 पर ऑल आउट होने वाली टीम से ज्यादा नुकसान होगा। यह अपने आप मे सही नहीं दिखता।