पूर्व भारतीय क्रिकेटर और दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह भारतीय क्रिकेट में अपनी जर्नी के बारे में बहुत स्पष्ट बोलते है चाहे वह हाई रही हो या लो रही हो।
लेकिन अब, उन्होंने भारतीय क्रिकेट के साथ कुछ ऐसे मुद्दों के बारे में बताया है जिससे कई लोगों को हैरानी हुई है।
इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि भारतीय बोर्ड उन खिलाड़ियों के प्रति थोड़ी अधिक सहानुभूति दिखा सकता था जो 2011 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे।
उन्होंने पक्षपात करने और खिलाड़ियों के एक सेट को “यूज़ एंड थ्रो” विकल्प के रूप में मानने के लिए बीसीसीआई की आलोचना की और इसे भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक दुखद चैप्टर कहा।
हरभजन ने कहा, “आप यह भी जानते हैं कि वे अधिकारी क्या कर रहे थे, उस समय भारतीय क्रिकेट में क्या हो रहा था और किस वर्ग के लोग खेल रहे थे, और दूसरों को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा था।
अगर हम 2011 में वर्ल्ड कप जीतने के लिए काफी अच्छे थे, तो उसके बाद हमने एक भी मैच क्यों नहीं खेला? क्या वह टीम सिर्फ वर्ल्ड कप जीतने के लिए काफी अच्छी थी और उसके बाद और खराब हो गई?”
“31 वर्षीय हरभजन सिंह, 30 वर्षीय युवराज सिंह, 32 वर्षीय वीरेंद्र सहवाग, 29 वर्षीय गौतम गंभीर जो 2011 में खेले थे, 2015 की वर्ल्ड कप टीम में खेलने के लिए ज्यादा अच्छे नहीं थे ? उन्हें एक-एक करके टीम से क्यों हटाया गया?
उनके साथ ‘यूज एंड थ्रो’ जैसा व्यवहार क्यों किया गया? यह भारतीय क्रिकेट की एक दुखद कहानी है। मुझे नहीं पता कि अब क्या हो रहा है।
लेकिन 2011 तक बहुत से लोगों ने मेरी मदद की, बहुतों ने मेरी टांग खींची। लेकिन 2012 के बाद उन्होंने मुझे पूरी तरह से बाहर निकालने के लिए कमर कस ली।
हरभजन भारत के लिए आखिरी बार मार्च 2016 में यूएई के खिलाफ टी20 इंटरनेशनल मैच में खेले थे। वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने भारत के लिए सिर्फ 26 मैच खेले थे।
टर्बनेटर ने कहा कि बीसीसीआई अधिकारियों और उस समय कप्तान के पास उनको बाहर निकालने का कोई जवाब नहीं था।
“मैं 2011 में 31 साल का था और मैंने 400 विकेट लिए थे। और एक 31 साल का लड़का रातों-रात 400 विकेट नहीं ले सकता। उसने कुछ तो सही किया होगा।
हां, मैंने भारत के लिए कुछ मैच जीते हैं और कुछ मैचों में भी बहुत खराब प्रदर्शन किया है। इस तरह से ही खेल चलता है।”